बड़े दर्द के साथ छोड़ देंगें हम, यह कैम्पस ओर अपना बचपन
वह नादानी, वह शैतानी, याद आयेगी,यह कैम्पस ,औ बचपन।
छोड़ रहें है अब हम, छूटेगा ही, क्षमा मांगने का वह अधिकार
कर्म क्षेत्र में कर रहे प्रवेश, हर त्रुटि पर रहेगा दण्ड स्वीकार।
दिया, किया सभी ने बहुत कुछ, अब हमारी देने की बारी है
बचपन को आगे और बढ़ने दो,आगे तो पचपन की बारी हे।
सहन किया सभी ने बहुत कुछ, अब हमारे सहने की बारी है,
... निभा दिया दुनिया ने बहुत कुछ, अब तो हमारी ही बारी है।
पट कथा बहुत लिखी गई है, कुछ कर के अब दिखाना है
नक्शे बहुत अब बन चुके, ईंटों को जोड़ते चले जाना है।
संकल्प तुम्हारा,जिजिविषा तुम्हारी, हमारी तो केवल इच्छा है
कर्म तुम्हारा, कल भी तो तुम्हारा, हमारी तो केवल शिक्षा है।
वह नादानी, वह शैतानी, याद आयेगी,यह कैम्पस ,औ बचपन।
छोड़ रहें है अब हम, छूटेगा ही, क्षमा मांगने का वह अधिकार
कर्म क्षेत्र में कर रहे प्रवेश, हर त्रुटि पर रहेगा दण्ड स्वीकार।
दिया, किया सभी ने बहुत कुछ, अब हमारी देने की बारी है
बचपन को आगे और बढ़ने दो,आगे तो पचपन की बारी हे।
सहन किया सभी ने बहुत कुछ, अब हमारे सहने की बारी है,
... निभा दिया दुनिया ने बहुत कुछ, अब तो हमारी ही बारी है।
पट कथा बहुत लिखी गई है, कुछ कर के अब दिखाना है
नक्शे बहुत अब बन चुके, ईंटों को जोड़ते चले जाना है।
संकल्प तुम्हारा,जिजिविषा तुम्हारी, हमारी तो केवल इच्छा है
कर्म तुम्हारा, कल भी तो तुम्हारा, हमारी तो केवल शिक्षा है।
No comments:
Post a Comment