क्या वास्तव में कुछ बदलता है या हम ही समय केसाथ चलते चलते साथ छोड़देते हैं और सब कुछ वैसे ही चलता रहता है, केवल कुछ पात्र सदैव आते-जाते रहते हैं, एक जाता है- दूसरा उसकी जगह लेता रहता है।
यह क्रम निरंतर चलता रहता है, बिना रूके चलते आया है, आगे भी चलते रहेगा- हो सकता है हम रहें या न रहें- वैसे हमारे पहले जो थे वे अब नहीं ही है, उनके नहीं होने से हम कब विचलित हुए, यदि हम उनके नहीं होने से विचलित नहीं हुए तो और लोग क्यौं हो।
सभी मस्त हैं , रहेंगें , हमारे रहने या कि न रहने से फर्क किसे पड़ता है।
यह क्रम निरंतर चलता रहता है, बिना रूके चलते आया है, आगे भी चलते रहेगा- हो सकता है हम रहें या न रहें- वैसे हमारे पहले जो थे वे अब नहीं ही है, उनके नहीं होने से हम कब विचलित हुए, यदि हम उनके नहीं होने से विचलित नहीं हुए तो और लोग क्यौं हो।
सभी मस्त हैं , रहेंगें , हमारे रहने या कि न रहने से फर्क किसे पड़ता है।
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