Friday, 2 August 2013

पहले ही पढ़ी गयी या सुनी गई ज्ञान की बातें दूसरे को सुना या बाँट कर विरुद या प्रसंशा प्राप्त करना बहुत अच्छा काम है, मैं ऐसा नहीं मानता, किन्तु अपना भोगा हुआ सत्य, अनुभव,ज्ञान दूसरो को हू बहू नहीं बता पाना कायरता है, कृपणता है, आने वाली पीढ़ी के प्रति आन्याय है।

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