पहले
ही पढ़ी गयी या सुनी गई ज्ञान की बातें दूसरे को सुना या बाँट कर विरुद या
प्रसंशा प्राप्त करना बहुत अच्छा काम है, मैं ऐसा नहीं मानता, किन्तु
अपना भोगा हुआ सत्य, अनुभव,ज्ञान दूसरो को हू बहू नहीं बता पाना कायरता है,
कृपणता है, आने वाली पीढ़ी के प्रति आन्याय है।
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