Sunday, 25 August 2013

ओंठों को सिल ही दोगे तो क्या ही हो जायेगा
नजरबंद जुबाँ होगी, पर क्या आवाज बंद होगी

आखें क्या कम बोलती है, नहीं बोलेगी क्या
बहते आँसू क्या कम बोलेंगें, थाम पाओगे क्या

उबलता खून जब गरजेगा, रोक पाओगे क्या
बँधी हुई मुट्ठी जब तनेगी, सम्भाल पाओगे क्या

रोँआ रोँआ रात-रात रोयेगा, सुनोगे नहीं क्या
रात जगेगी, दिन-दिन गायेगा, सह सकोगे क्या

ओंठों को सिल ही दोगे तो क्या ही हो जायेगा
नजरबंद जुबाँ होगी, पर क्या आवाज बंद होगी

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