बन रहा इतिहास, बीते इतिहास की तरह बेतुका, बड़बोला ,बदहाल ही हो ,कोई जरूरी तो नहीं। विभत्स होने, बनने तथा बने रहने की होड़ क्यों लगी हुई है। काट लिया सर और अमरहोने का वर दे डाला- क्या है यह सब। रास्ते चलते किसी को भोगा लिया और सदा कन्या बने रहने का दे डाला वर। पूछा न ताछा, हुक्म सुना डाला --बाँट लो सभी भाई- वाह भाई।
क्यों केवल राजाओं का ही इतिहास बना करता है। राजा था, राजा हुआ, रानी थी, रानी बनी, राजकुमार-राजकुमारी, सोने चाँदी के महल, किमती कपड़े, शिकार ,महल, रथ, सेना, मंत्री, संत्री--इन्हीम का जीना जीना या मर जाना मरना, खेलना, खाना, लड़ना, शादी-विवाह , रुठना -मनाना-मान जाना- इतिहास में क्या यही सब कुछ होता है।
इतने भब्य कीमती महल, विशाल - इतनी खास नक्काशी, कारीगरी, आश्चर्य में डालने वाली मुर्तियाँ, कैसे कैसे रत्न, भब्यतम सुन्दर कृतियाँ- सोचता हूँ इन सब के लिये साधन कहाँ से जुटाये गये होंगें।
इतना ऐश - इतना संग्रह- कैसे संभव हुआ होगा।
क्या यह सब ही उचित था या बहुत कुछ ऐसा थ जिसकी जान बूझ कर उपेक्षा की गई है। असल तस्वीर इस सब की आड़ में छिपने का प्रयास किया गया।
मेरी समझ मै आज बी वह सब छिपाया जा रहा हे या फिर किसी के मनोरंजन, ऐश,ब्यापार, भोग, विलाश के काम आ रहा है।
इतिहास जैसा बताया जा रहा है व सत्य न है,न था, न होगा- वह सत्य नहीं- सत्य के सिवा कुछ भि हो सकता हे - सत्य नहीं था, न है , न रहेगा।
जैसा इतिहास बन रहा हे या बना रहे हो वह भी भ्रम भर है- सत्य से बहुत अलग, अपूर्ण, अस्वाभाविक।
ऴह भी तुम्हारी कुटिलता की उपज था, यह भी।
वह भी एक परदा भर था, यह भी।
क्यों केवल राजाओं का ही इतिहास बना करता है। राजा था, राजा हुआ, रानी थी, रानी बनी, राजकुमार-राजकुमारी, सोने चाँदी के महल, किमती कपड़े, शिकार ,महल, रथ, सेना, मंत्री, संत्री--इन्हीम का जीना जीना या मर जाना मरना, खेलना, खाना, लड़ना, शादी-विवाह , रुठना -मनाना-मान जाना- इतिहास में क्या यही सब कुछ होता है।
इतने भब्य कीमती महल, विशाल - इतनी खास नक्काशी, कारीगरी, आश्चर्य में डालने वाली मुर्तियाँ, कैसे कैसे रत्न, भब्यतम सुन्दर कृतियाँ- सोचता हूँ इन सब के लिये साधन कहाँ से जुटाये गये होंगें।
इतना ऐश - इतना संग्रह- कैसे संभव हुआ होगा।
क्या यह सब ही उचित था या बहुत कुछ ऐसा थ जिसकी जान बूझ कर उपेक्षा की गई है। असल तस्वीर इस सब की आड़ में छिपने का प्रयास किया गया।
मेरी समझ मै आज बी वह सब छिपाया जा रहा हे या फिर किसी के मनोरंजन, ऐश,ब्यापार, भोग, विलाश के काम आ रहा है।
इतिहास जैसा बताया जा रहा है व सत्य न है,न था, न होगा- वह सत्य नहीं- सत्य के सिवा कुछ भि हो सकता हे - सत्य नहीं था, न है , न रहेगा।
जैसा इतिहास बन रहा हे या बना रहे हो वह भी भ्रम भर है- सत्य से बहुत अलग, अपूर्ण, अस्वाभाविक।
ऴह भी तुम्हारी कुटिलता की उपज था, यह भी।
वह भी एक परदा भर था, यह भी।
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