मुझे जी लेने दो एक पीपल के वृक्ष की तरह जिसकी शाखों पे असंख्य घोसले, डालो के विवर में अनेक जीवों के निवास, जड़ों के जाल के बीच अनेक बांबीयों, चारो ओर आश्रित विशाल जीवन के आर पार कोई थकी सी गरमाई हवा , पीपल की ठंडी छाँव में थोड़ा सुस्ता के धीरे से निकल जाती है, इत्मिनान से।
No comments:
Post a Comment