लेकिन जब कोई जज न्याय की कुर्सी पर बैठा होता है तो कई बार उसे नागरिक के तौर पर अपनी पसंद के नेता, राजनीतिक पार्टी यहाँ तक कि सरकार के ख़िलाफ़ भी फ़ैसला करना पड़ सकता है.
इसीलिए हमारी शासकीय प्रणाली में न्यायपालिका को सरकारों से आज़ाद रखा गया है.
न्यायपालिका को सरकार का अंग इसीलिए नहीं माना जाता कि वो सरकार और उसके मुखिया के ख़िलाफ़ भी फ़ैसले करती है.
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