Sunday, 26 August 2018

इमानदारी अब सचमुच अजायबघर या म्यूजियम या लेबोरेट्री की चीज हो गई - और ईमानदार बस सार्वजनिक निन्दा - पारिवारिक निन्दा -स्व -निन्दा झेलता निरीह प्राणी - कहते चलता है - जीवन यदि जहर है तो इसे पीना ही पड़ेगा - यह दूसरी बात है की जहर पी कर भी वह चैन और इज्जत से मर भी नहीं सकता - मूल्य बदल गये , मूल्यों की परिभाषा ,स्वरूप बदल गये या बदल दिये गये हैं।

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