हमने न्याय को अधिवक्ता की बहस करने की क्षमता, हमारी फीस देने की क्षमता और जज साहबान के ब्यक्तिगत विवेक, मान्यता और मूड के अधीन बना दिया।
हमने न्याय को अन्तहीन अंधी गली में मिलने वाला फल बना डाला। जो पहले थक गया वह हार गया।
हमने न्याय को अन्तहीन अंधी गली में मिलने वाला फल बना डाला। जो पहले थक गया वह हार गया।
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