यदि राजनेता का विरोध करने का आपका अधिकार है तो राजनेता को भी अधिकार मिलना चाहिये कि वह राजनैतिक तरीकों से आपको समझाये, अपने पक्ष में मिलाये ओर आपका विरोध करें। यदि राजनैतिक दृष्टि से मुखर, प्रखर,प्रभावी कोई भी हो, आपको उसका सब विधि विरोध करना ही है, बुद्धिजीवी होने के नाते कोई भी आपकी आलोचना से परे नहीं है, और यह आलोचना आपकी अपनी समझ, पसन्द, नापसन्द,आपके अपने हितों के आधार पर या जिसे आप उचित समझे उसी आधार पर तो वही अधिकार राजनीतिज्ञ को भी आपको देना होगा।
यदि कोई राजनीतिज्ञ आपकी स्वेच्छाचारी आलोचना से परे नहीं, आपके वैचारिक भयादोहन से दूर नहीं, आपके विचार गठबंधन के परे नही तो आप केवल बुद्धिजीवी होने के कारण अबाध्य होने का दावा नहीं कर सकते।
यदि कोई राजनीतिज्ञ आपकी स्वेच्छाचारी आलोचना से परे नहीं, आपके वैचारिक भयादोहन से दूर नहीं, आपके विचार गठबंधन के परे नही तो आप केवल बुद्धिजीवी होने के कारण अबाध्य होने का दावा नहीं कर सकते।
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