Tuesday, 20 January 2015

गंदगी गन्दी ही होती है , गन्दी ही लगती है ,लगनी भी चाहिये .
पर यदि गंदगी की आदत ही पड़ जाये तो गंदगी गंदी लगना बंद हो जाती है .
पर इससे गंदगी तब भी गंदगी ही रहती है .
गंदगी ,गंदगी tतब भी  बंद नहीं ही होती . गंदगी की आदत मत लगने दीजिये .
गंदगी त्याग एवं घृणा की विषय -वस्तु है . न तो इसे पडोस में बसाया जा सकता है , न इसकी आदत लगाई जा सकती है , न इसका शौक पाला जा सकता है .
मजबूरी हो तो बरदास्त करना पड़ता है, कभी -कभी; पर मजबूरी में भी आदत  लगने से पहले भाग लीजिये . 
बस इतना ही .

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