Thursday, 15 January 2015

उदास मत हो मेरे यार 
कभी बिंदु उडाता मजाक रेखा का
कभी वक्र-रेखा हंसे सरल रेखा को 
वृत्त कनखियाता वक्र रेखा को 
श्रुति हंसती स्मृति पर 
स्मृति कसे फब्तियां संहिता पर
छंद-दारों ने केंचुआ छंद कहा
छंद-बंध जब तोडा फोड़ा तो
अकवि तक कहा , सब सहा
आज फेसबुकिया कहते हैं व ही
उदास मत हो मेरे यार
इ-साहित्य की होगी दुनिया
और आप होंगे इ-साहित्यिक
और होंगे वेबिनार
वेब पर होंगे वेब्मिलन
फेसबुकिया पहुंचेगा करोड़ों तक
उदास मत हो मेरे इ- यार
इ साहित्य रहने आया है
चिट्ठियों को इ-मेल ने चलता किया
इ-ट्रेड ने सेट किया नया ट्रेंड
आप भी करेंगें नई यात्रा
उदास मत हो मेरे फेसबुकिया यार
कविता कर
आने वाला कल आयेगा ही

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