Judicial discussion by R . K . Rateria
Saturday, 11 August 2018
दिखता तो बहुतों को है। घटता भी बहुतों के साथ है ही। पर समझते कितने हैं। कुछ एक तो समझना ही नहीं चाहते।कुछ समझ ही नहीं सकते, क्षमता या जिज्ञासा या उत्सुकता ही नहीं है।कुछ उद्यम ही नहीं करते। करना ही नहीं चाहते।
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