नई पीढ़ी नये उपकरणों ,तकनीक, उत्साह, प्रशिक्षण, से लैस है । सम्भवतः अपनी पहले वाली पीढ़ियों से अधिक सुरक्षित। उन्हें जीवन के रोटी कपड़ा मकान के मूल प्रश्न अब शायद उतना चिंतित नहीं करते। इन परिस्थितियों मे यह पीढ़ी कुछ अधिक ही आतुर, ब्याकुल, उत्तेजित, बेचैन है और अधिकतम प्रयोग करने पर तुली है, और तो और अपने से बड़ों का शिक्षक, प्रशिक्षक, पथप्रदर्शक बनने पर ढीठ हो अड़ सी जाती है, न हो तो अपने से बड़ों को अपराध का शिकार या उन्हें नये अपराध के रास्तों पर प्रशस्त करता फिरता है।
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