Thursday, 12 June 2014

मीडिया की भूमिका जन शिक्षक की होनी चाहिए , पान मसाला ,सिगरेट , अंडर -गारमेंट्स  आदि के व्यवसायिक प्रचारकों की नहीं ,न ही बाबा लोगों के ब्यवसायिक प्रचारको की , न स्वर्ण भष्म -मूसली के प्रचारकों की .
मिडिया को सदैव सभी परिस्थियों में अपने आप को सकारत्मक बना कर ही रखना होगा - यदि मिडिया को स्वयं को जीवित रखना है तो व्यवसायिकता नहीं , उपयोगिता बनाये रखना होगा .
अन्य कोइ रास्ता आत्म घाती होगा . समाज की उपेक्षा कर शराब कम्पनियों की तरह मिडिया जीवित नहीं रह सकेगा . स्वार्थ के लिये व्यवसायिकता मिडिया को नष्ट कर देगी .

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