पुराने को हम कब छोड़ेंगे ? क्या हमें इतिहास ,पुराने विचारों ,पुराने संस्कारों से अनावश्यक प्रेम नहीं है ? क्या हमारा इतिहास ही हमारा अंतिम भविष्य है ,? क्या हम और आने वाली पीढियां नई संरचना खड़ी कर ही नही सकते ? इतिहास पर इतना भरोसा क्यों ? वर्तमान या भविष्य के प्रति इतनी शंका उचित प्रतीत नहीं होती .
नया आएगा तो पुराने को दुबारा चेक करेगा ,बहुत सी पुराणी व्यवस्था ,मूल्य ,विचार गलत साबित कर दिए जायेंगे . बहुत कुछ बदल दिया जायेगा . बहुत कुछ नया आएगा .
खुद के रिजेक्ट होने के डर से क्या मैं नये का विरोध रहा हूँ या मुझे और आपको पुराने के नाम की अफीम पिला पिला कर पाला गया है.
पुराने की जांच तथा उसके स्थान पर बेहतर आ जाये इसमें हर्ज ही क्या है .
हाँ ,मेरे आपके जैसे कुछ लोग हैं जिसे इसी सड़ी गली व्यवस्था से ही अनुचित लाभ मिलते आया है तो मैं और आप तो इस इतिहास-पूजन-सतत -प्रवाह -समारोह को आगे भी चालू रखना ही चाहेंगे .
नया आएगा तो पुराने को दुबारा चेक करेगा ,बहुत सी पुराणी व्यवस्था ,मूल्य ,विचार गलत साबित कर दिए जायेंगे . बहुत कुछ बदल दिया जायेगा . बहुत कुछ नया आएगा .
खुद के रिजेक्ट होने के डर से क्या मैं नये का विरोध रहा हूँ या मुझे और आपको पुराने के नाम की अफीम पिला पिला कर पाला गया है.
पुराने की जांच तथा उसके स्थान पर बेहतर आ जाये इसमें हर्ज ही क्या है .
हाँ ,मेरे आपके जैसे कुछ लोग हैं जिसे इसी सड़ी गली व्यवस्था से ही अनुचित लाभ मिलते आया है तो मैं और आप तो इस इतिहास-पूजन-सतत -प्रवाह -समारोह को आगे भी चालू रखना ही चाहेंगे .
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