कि बचपना कब छोड़ोगे ,या कब छूटेगा , या कि कभी नहीं छूटेगा .
मुडेर पर बैठे कौए को देख ,यह काला क्यों हैं , पूछना कब छोड़ोगे .
नाचती लहरें ,बांचती कविता ,ता था थैया ठुमकते रीत ,गीत,मीत
कब थमेगा कोलाहल ये ,कडकती बिजलियों को कब मिलेगी जीत
उफनती लहरें कब घर को लौटेगी ,किनारे कब किनारे से मिल पायेंगें
समंदर कब बूंद तक आएगा ,चांदनी और चाँद फिर कब मिल पायेंगें
मेरा बचपन मेरे पचपन तक कब आएगा ,या कि अभी या कभी नहीं
गुड़ियों से गुड़ियों तक की यात्रा ,यादें तो है, कब आएगी ,या कभी नहीं
मुडेर पर बैठे कौए को देख ,यह काला क्यों हैं , पूछना कब छोड़ोगे .
नाचती लहरें ,बांचती कविता ,ता था थैया ठुमकते रीत ,गीत,मीत
कब थमेगा कोलाहल ये ,कडकती बिजलियों को कब मिलेगी जीत
उफनती लहरें कब घर को लौटेगी ,किनारे कब किनारे से मिल पायेंगें
समंदर कब बूंद तक आएगा ,चांदनी और चाँद फिर कब मिल पायेंगें
मेरा बचपन मेरे पचपन तक कब आएगा ,या कि अभी या कभी नहीं
गुड़ियों से गुड़ियों तक की यात्रा ,यादें तो है, कब आएगी ,या कभी नहीं
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