Saturday, 14 June 2014

क्रिकेट एक खेल नहीं 'खेल ' हो गया है ,बड़ों का 'खेल ' छोटों , छोटों का टूटता सपना .
शेयर मार्केट  अब मार्केट नहीं एक खेल बन बया है , तेजी खेलें या मंदी , इस मैदान में खेलें या उस मैदान में , इसकी हवा बनाये या उसकी , किसकी गोटी लाल , किसका फिक्स किससे , और इन सबके बीच मारा जाता है बिच्बीचवा , उसका कारोबार, धन ,सपना ऐसे टूटता है जैसे भूंजा या सेका पापड़ ..

No comments:

Post a Comment