Wednesday, 18 June 2014

महान बनना किसको नहीं अच्छा लगता है ,कौन बड़ा ,महान ,आदर्श आदि आदि नहीं बनने का प्रयास करता , कौन बनना नहीं चाहता , पर एक तो बनना मुश्किल फिर बन जाने के बाद बड़प्पन ,महानता के साथ टिकना मुश्किल ,कितनी मर्यादाओं का पालन एक साथ लगातार करना पड़ता है ,कितने बन्धनों से अपने आपको बांध लेना पड़ता है ,महानता प्राप्त करने के लिये परिश्रम तथा वहां बने रहने के लिये ,अनुशासन , निग्रह ,नियंत्रण की ही आवश्यकता होती है .
बायोलोजिकल बड़प्पन एक चीज है जो समय के साथ आ सकता है .
पर पेरेंटिंग के लिये आवश्यक सामाजिक , बौद्धिक ,आत्मिक बड़प्पन  तो अरजना पड़ता है ,
और यदि सामाजिक पेरेंटिंग की बात हो तो अभ्यास कर नियन्त्रण के साथ  धारण करना तथा निर्वहन करना पड़ता है .
बडप्पन ,महानता भोगने की विलासिता नहीं वरन निर्वाह करने का महती दायित्व होता है .निर्वाह कर सको तभी आत्मिक सुख मिल जायेगा  नही तो बड़प्पन हासिल करना एक कष्ट प्रद  यात्रा भर है और जो बडप्पन मर्यादा के साथ नहीं निबाहा गया वह अनंत अपयश ,कष्ट  तथा निंदा का सर्वकालिक कारण .

No comments:

Post a Comment