Saturday, 14 June 2014

एक खिड़की जो खुल गई तो अँधेरा भाग गया
खिली धुप की गोद में , बस सपना जाग गया .

एक अंगडाई जवानी की ,निराशा यूँ शरमा गई
आशाओं ने फैलाएँ पंख,उम्मीदें और गरमा गई .

No comments:

Post a Comment