पाप और अपराध में बड़ा अंतर है। अपराध वह है जो बाहर दिखाई पड़ता है और पाप वह है जो मन में उत्पन्न होता है। कानून में यदि कार्य से कोई अपराध कर ले तो दंड की व्यवस्था है, लेकिन पाप के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं। यहबातें झुमरीतिलैया के श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में जैन मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में गुरुवार को कही।
No comments:
Post a Comment