Wednesday, 5 September 2018

आँखे बोल ही देती है। समझ में आ ही जाता है। बड़ी चुगल खोर तो है ही। खुली खुली सी भी है।आँखें बीफ गहरी होती है, गहराई लिये होती है। इन आँखों में न जाने कितना कुछ दफन हो जाता है।

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