Tuesday, 11 September 2018

मैं जानता हूँ कि मेरे पास पंख नहीं है,
फिर भी ऊँची उड़ान उड़ना चाहता हूँ, 
नापना चाहता हूँ इसअनंत गगन को
समेटना यह विशाल वितान चाहता हूँ ।
अखण्ड उन्नत वृक्ष विशाल खड़ा तो है 



 फुनगियों पर अँधेरा है
 आसमान में पहरा है। 
जवाब है जिसको देना
 वो हाकिम ही बहरा है।
 तमस मिटे नव विहान चाहता हूँ।
 पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ , 
नापना गगन वितान चाहता हूँ।

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