Thursday, 6 September 2018

बिना इंसाफ़ के अमन कब, कहां हुआ?

उन्होंने ग़ैर-बराबरी और पीढ़ी-दर-पीढ़ी शोषण को ईश्वरीय न्याय मानने वाले समाज में 'एक वोट, समान अधिकार, सबकी सरकार' जैसा क्रांतिकारी विचार रखा, वो भी ऐसे दौर में जब इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बन चुका था और भारत में संविधान की जगह मनुस्मृति को क़ानून बनाने की माँग उठ रही थी.
मगर इसके बाद जो 'लेकिन' आता है, वो बहुत बड़ा लेकिन है, भारत की एकता की बात तो अच्छी है 'लेकिन' बिना इंसाफ़ के अमन कब हुआ है, कहाँ हुआ है?
मुसलमानों ने अपना देश ले लिया तो हिंदुओं को भी अपना एक देश मिलना चाहिए जिसे वे क़ानून से नहीं, धर्म से चला सकें, उनकी नज़र में यह वो इंसाफ़ था, जो नहीं हो पाया. इस्लामी पाकिस्तान जैसा बना सब देख रहे हैं, हिंदू भारत का विज़न उससे कोई अलग नहीं है.
आंबेडकर मानते थे कि अगर हिंदू भारत बना तो वह दलितों के लिए अंग्रेज़ी राज के मुक़ाबले कहीं अधिक क्रूर होगा, उन्होंने बीसियों बार इस आशंका के प्रति आगाह किया था.
पैदाइश की बुनियाद पर होने वाले अपमान-अन्याय-अत्याचार को धर्म और संस्कृति मानना, उन्हें सामान्य नियम बताकर उनका पालन करना, और पालन न करने वालों को 'दंडित' करना, ये सब संविधान और क़ानूनों के बावजूद आज भी सनातन चलन में है.

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