Judicial discussion by R . K . Rateria
Thursday, 6 September 2018
सवर्णों के प्रभुत्व वाली नौकरशाही और राजनैतिक नेतृत्व ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि कहीं सरकारी रिकॉर्ड में आदिवासियों और दलित खेतिहरों के नाम कोई ज़मीन दर्ज न हो जाए, जबकि वह उन्हें आवंटित की जा चुकी थी..
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