Tuesday, 11 September 2018

किताबे निष्प्राण ज्ञान है, शिक्षक के संग साथ से , विद्यार्थी के पुरुषार्थ से सजग, सजीव, चैतन्य हो चलने, फुदकने, फलने, फूलने लगती है, एक एक शब्द बालक के उत्साह से और शिक्षक के विवेक,उदारता, वैज्ञानिक और प्राकृतिक प्रभाव से नाचने लगते है, हर शब्द से असंख्य नये विचार उत्पन्न होते चले जाता है 

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