Friday, 31 October 2014

 अन्याय के खिलाफ  हर लड़ाई में मेरा सहयोग रहे ,क्या ऐसा  नहीं होना चाहिये
नये की आगे नई यात्रा निरापद हो , लक्ष्य तक पहुँचे,क्या इसमें  मेरा योगदान नहीं होना चाहिए।
 मुझे मेरे बड़ों से धार मिली , सहयोग मिला , ताकत मिली , उन्होंने खिड़कियों के पट खोले।
उनके खोले दरवाजों से मैं आया -गया , देखा -समझा -क्या मुझे नए दरवाजे खिड़की नहीं खोलनी चाहिये। 

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