Judicial discussion by R . K . Rateria
Tuesday, 21 October 2014
पहली पीढ़ी का बड़ा सपना टूट भी जाये तो कोई बात नहीं ,कम से कम सपनों के होने का पता तो चल ही जाता है ,सपनों तक पहुंचने का रास्ता तो समझ में आने ही लगता है , सपने दिखने में तो आने लगते हैं ,सपने देखने में जो झिझक होतीहै वह तो टूट ही जाती ही है -------
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