Saturday, 25 October 2014

पुराना कुछ भी रुकता नहीं ,रोके भी रुकता नहीं ,न कोई रोकना ही चाहता है न रोक ही सकता है ,खुद पुराना भी शायद रुकना नहीं चाहता , चाहे भी तो शायद रुक नहीं सकता .

यही अकेला है जो कभी न रुका है न रुकेगा.

सब कुछ तो सदैव नया है ,हर पल नया है .
अनंत नयों की यह अनंत यात्रा ही तो जीवन है .
आज तक तो कभी पुराने ने बीच में आकर नये  की यात्रा पर प्रश्न नहीं किया .
पुराने ने ही नये को बुलाया है
आओ एक बार फिर नये को सादर सप्रेम बुलावें - नई उम्मीद के साथ .

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