Saturday, 11 October 2014



क्या मैं अपना इतिहास फिर एक बार लिख सकता हूँ
कुछ इस तरह कि जो कुछ कडुआ हो वह मिट जाये .
क्या मैं कुछ दरख्वास्त तुमसे फिर भी कर सकता हूँ
कि मेरे इतिहास में से जो मैंने हटाया ,उसे भूल जाओ
अधिकार मुझे दो कि खुद को जहाँ जब चाहूँ,भुला दूँ
कोई मेरे इतिहास को ,मेरी इजाजत बिना कुरेदे नहीं .
जितनी इजाजत उतना ही याद करना ऐ दुनिया वालों ,
बिना इजाजत के याद से आगे का सफर भारी होता है

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