Saturday, 11 October 2014

हम ताकत भर मोल भाव करते हैं--हम इनसे कम से कम आदर सहित तो कभी भी नहीं बोलते ----
रिक्से वाले से ,सब्जी वाले से , मेकेनिक -मिस्त्री से ,जूता रिपेयरिंग या पालिश करने वाले से ,मिटटी के बर्तन बेचने वाले से, फूल बेचने वाले से ,सफाई वाले मजदूर से , घर में काम करने वाली बाई या घरेलू नौकर से ,अनपढ़ या कम पढ़े लिखे ग्रामीण मजदूरों से ------------
पर बड़े गर्व से फाईव स्टार होटलों का बिल तथा मोटी टिप देने में गर्व महसूस करते है,
ब्रांडेड कपड़ों ,जूतों ,स्प्रे , डियो ,परफ्यूम ,ड्रिंक्स ,टाई ,डी जे , बार , मसाला ,धुंआ , एडवेंचर गेम्स आदि आदि पर या विलासिता के अन्य खर्च के समय तो मोल भाव नहीं करते -
दिल खोल कर पैसा लुटाते हैं और अपनों को दिखाते हैं --------
सीमांत मजदूर से डील करते समय हम इतने निर्दयी ,कंजूस क्यों हो जाते हैं ?

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