Monday, 6 October 2014

विचारो को आकार लेता देखना ,विचारों पर पहला अमल होते देखना लोग पचा नहीं पाते .
उन्होंने तो पूरा जीवन विचार और व्यवहार को अलग अलग तथा भिन्न देखा है
.वे समझ ही नहीं पाते की जो विचारा , जो कहा , जो लिखा हू ब हू वह किया कैसे जा सकता है .
विचार वाणी और कर्म को एक करने वाला या उन्हें एक समझने वाला या एक देखनेवाला हमको आपको पचता नहीं , ह्म उसे उपहास भरे आश्चर्य की निगाह से देखते हैं

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