पुकारने पर तो भागवान आते हैं ,
अपने तो बस आते ही चले जाते हैं.
तप,तपस्या ,भोग ,दूसरों के लिये
अपने तो बस अकारण चले आते हैं
बाकी सब तो धर्म से या कि कर्म से
अपने तो बस शर्म से ही चले आते हैं
अपने तो बस आते ही चले जाते हैं.
तप,तपस्या ,भोग ,दूसरों के लिये
अपने तो बस अकारण चले आते हैं
बाकी सब तो धर्म से या कि कर्म से
अपने तो बस शर्म से ही चले आते हैं
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