Friday, 31 October 2014

No threats please ! Not even from King.
King has to live for me. Leave the king if King does not love you and live for you.
Nothing can domesticate me, enslave me.
 Only love would get me. Not those buttered loaves !
पुराने को पूजता रहूँ या नित्य नये का करूँ आह्वान ,
इतिहास का श्रृंगार करूँ या भविष्य का शुभ स्वागत


मैं तो आनेवाले का स्वागत कर चल देने में विश्वास रखूँगा
भविष्य पर भरोसा , इतिहास पर संतोष -बस अब मैं चला ------
खुद को ऊपर उठाना , आगे बढ़ाना अच्छा तो है पर बड़ा परिश्रम साध्य ,संयम -साध्य , अध्यव्यसाय साध्य , बौद्धिक-आत्मिक -साधना -साध्य।

बस गलत न होने ,न करने का विशेष आग्रह , स्वार्थ से परहेज की जिद्द , गुटबाजी  का हिस्सा नहीं बनूंगा 
 अन्याय के खिलाफ  हर लड़ाई में मेरा सहयोग रहे ,क्या ऐसा  नहीं होना चाहिये
नये की आगे नई यात्रा निरापद हो , लक्ष्य तक पहुँचे,क्या इसमें  मेरा योगदान नहीं होना चाहिए।
 मुझे मेरे बड़ों से धार मिली , सहयोग मिला , ताकत मिली , उन्होंने खिड़कियों के पट खोले।
उनके खोले दरवाजों से मैं आया -गया , देखा -समझा -क्या मुझे नए दरवाजे खिड़की नहीं खोलनी चाहिये। 
 I come from humble roots, and I don't seek to draw attention to myself. That is me.
Ultimately that’s all any of us really want, to be recognised for the work we do every day and not discriminated against because of the will of GOD , or of the place where we are born or of the person to whom we are born.
 I realize how much I've benefited from the sacrifice of others. We all have a duty to try to help someone struggling to come to terms with who he or she is, or bring comfort to anyone who feels alone, or inspire people to insist on their equality, then it's worth the trade-off with your own privacy,"

 It's made me more empathetic, which has led to a fighting -rising life. It's been tough and uncomfortable at times, but it has given me the confidence to be myself, to follow my own path, and to rise above adversity and bigotry,

 It adds another layer to what we know about them without defining his persona and colouring his work.

Thursday, 30 October 2014

इतिहास लगातार बनता रहता है , बन चुके इतिहास को मैनेज करना या सम्भालना  होता है , और इस काम को डेलीगेट किया जा सकता है।  बन चूका इतिहास धीरे धीरे समय से लड़ने लगेगा , कुछ ही बचेगा , कुछ लुप्त होता ही जायेगा।
 हाँ ,एक इतिहास सदैव भविष्य के गर्भ से सामने आता रहता है -उसे सावधान हो समझो , पहचानो , गढ़ो ,  बनाओ। नये इतिहास पर  नजर रखें। 

Wednesday, 29 October 2014

लड़ाई लड़ो , घाव सारे  मैं  लिए जाऊँगा
उठाओ तलवार ,धार मैं बनता ही जाऊंगा
दर्द तो होगा , पर आँसू मैं पीते चला जाऊँगा
चलो तो सही ,रास्ते भर मैं बिछता जाऊँगा 
जानता हूँ जड़ें निकालने में कैसा लगता है ,
यह भी जानता हूँ नई जमीन कैसी होती है
दो नई पत्तियाँ नये जीवन का परिचय है
जानता हूँ ,इन नई फुनगियों का भय ,दर्द।

मेरे आंसुओं की फ़िक्र मत करना ,न डरना
मैं तो सो ही जाऊँगा, बस तुम आगे बढ़ना। 

Tuesday, 28 October 2014

पाप को आवरण की आवश्यकता होती है , वह अकेले खड़ा नहीं रह सकता , पाप को भीड़ की जरूरत है , जनमने के लिये , पनपने के लिये और सुरक्षा के लिये।  पाप और पापी बढ़ते ही दीखता है। भीड़ के सहारे पाप और पापी अपने सुरक्षित होने का आभाष खोज ही लेते हैं। परस्पर सुरक्षा देते -लेते ये समूहों , जमातों , गिरोहों का  निर्माण करते रहते है और वहीं  आश्रय पाते रहते हैं। 

Monday, 27 October 2014

बिहार में  आज तीन दिन का प्रकृति -पर्व प्रारम्भ - परिश्रमी बिहार , निश्छल बिहार  अनगढ़ -रत्न  बिहार , केवल -जीवन -बिहार , धीर-धरा बिहार , आशुतोष -बिहार ---- _()_
सच को तुमने अपने घर का नौकर बना रखा है , पाप को बना रखा है रिश्तेदार , परिवार। अपने रिश्तेदारों को ही तरह तरह से बखानते रहते हो , जब जहां मौका मिलता है स्थापित करते फिरते हो।  नौकर बनाये सत्य को आज तक जलील ही किया है या और कुछ।
पर इन सब के बाद भी सत्य जिन्दा है और रहेगा।
सत्य एक दिन साक्षात सामने भी आएगा।  पूरी शान से प्रतिष्ठा के साथ सर उठाये आएगा।
उस दिन तुम मुँह छिपाते फिरोगे।

बिना खुशामद ,बिना गिरे आज तक सर उठा कर जीते आया हूँ , आगे और अधिक सक्रिय जिऊंगा , झुक कर नहीं , किसी के एहसान के बल बूते नहीं , किये के बूते। 
 उन्होंने कहा - केवल होने से नहीं होता , लगना पड़ता है।
मुझे लगता है - जो लगने से मिले सो भीख -भीख लूँ क्यों।
लगूँ क्यों - यदि हूँ तो मानो , नहीं तो नहीं -लगना क्यों।
यदि मेरी जरूरत हो तो ठीक ,लग कर खुशामद नहीं।
खुशामद की उम्मीद क्यों करते हो ,बेईमानी के लिए
बेईमान नहीं बनूँगा , खुशामद नहीं करूँगा , बस इतना ही। 
छोटा आदमी
बहुत अदब से रखता है
पैर / जुबान / हाथ
बड़ी जगह पर ,
धीरे धीरे गुजरता है
बाजार से ,
डरता है कहीं कोई
किसी अनजानी/बेमानी सी बात पर
उसकी पतलून ना खींच दे |------- उद्धृत - विशाल कृष्ण सिंह 

Sunday, 26 October 2014

प्रश्न इतना ही है , सोने का फीता गले में लटका पालतू बनूँ या नहीं 


मगरुरों की सजा इतिहास लिख देगा! The history will dictate the punishment for the arrogant
पद शाश्वत भी हो तो भी पदासीन कालिक ही होता है| 
Even if the post is perennial, one who occupies it is only periodical.
"रे बंदा चेत मानखाँ चेत, जमानों चेतण रो आयो.......
If my performance, quality bites your ego, perhaps I cannot help.I am not going to give up.
I refuse to be owned........
मैं तुम्हारी मुट्ठी में नहीं आऊँगा 
क्यों तो मुझे अपनी आस्था , विश्वास की पीठ पर कोई  हाथ रखे  यह अच्छा नहीं लगा।
शायद सार्वजनिक स्थान पर इस प्रकार के आभाषी प्रदर्शन से अवश्य बचना ही चाहिये। 

Saturday, 25 October 2014

Entrepreneurs are those who find out one out of none  and try to make it a ton not by adding or multiplying but creating one by one the new ones from all the nones. 
पुराना कुछ भी रुकता नहीं ,रोके भी रुकता नहीं ,न कोई रोकना ही चाहता है न रोक ही सकता है ,खुद पुराना भी शायद रुकना नहीं चाहता , चाहे भी तो शायद रुक नहीं सकता .

यही अकेला है जो कभी न रुका है न रुकेगा.

सब कुछ तो सदैव नया है ,हर पल नया है .
अनंत नयों की यह अनंत यात्रा ही तो जीवन है .
आज तक तो कभी पुराने ने बीच में आकर नये  की यात्रा पर प्रश्न नहीं किया .
पुराने ने ही नये को बुलाया है
आओ एक बार फिर नये को सादर सप्रेम बुलावें - नई उम्मीद के साथ .
दिख जाने भर से मन पिघल सा जाता है
याद भर आने से आँखे भर भर सी आती है
छू लेने भर से ,कोना कोना भरता ही जाता है
जो तुम छू दो तो हर डर भागता चला जाता है 

Wednesday, 22 October 2014

Entrepreneurs are more concerned on changing the world. They want to pursue their passion and achieve an ultimate goal. They are not keen on financial returns, rather they are focused on what they can offer to the world. Their purpose for entrepreneurship is simply to make a difference in this world
रीति ,नीति , प्रकृति , ,यहाँ ये सब भिन्न ,अलग हैं , सन्दर्भ  तथा प्रसंग भी अलग ही है - परम्परा से हट कर अर्थ हैं - सब  कुछ  अलग है -बस इतना सा प्रश्न है 

Tuesday, 21 October 2014

रौशनी का हिसाब लेने के पहले, दिये का बूता कूता तो होता
दीये में दिया था सनेह ही कितना , बाती में बंट भी कितने कम थे 
पहली पीढ़ी का बड़ा सपना टूट भी जाये तो कोई बात नहीं ,कम से कम सपनों के होने का पता तो चल ही जाता है ,सपनों तक पहुंचने का रास्ता तो समझ में आने ही लगता है , सपने दिखने में तो आने लगते हैं ,सपने देखने में जो झिझक होतीहै वह तो टूट ही जाती ही है -------

Thursday, 16 October 2014

अपनी गलतियों का एहसास होने लगा
तुम खुद ब खुद उपर उठने लगे
इन्तजा मैं अब माफ़ी का करने लगा
तुम खुद ब खुद उपर उठने लगे

अपनी गलतियों का इंतजार करने में
मैं अपने में ही व्यस्त होने लगा
तुम्हारे दामन् तक झाँकने की फुरसत न रही
मैं अपने में ही नस्त रहने लगा 
कुछ करो तो सही ,करोगे तब न करना सीखोगे , पहले करना तो सीखो, तब सही और बढ़िया करना सीखोगे ,जानोगे . ,लिखना ,पढ़ना ,चलना ,,उठना , बैठना ,बोलना ,--- सभी में यही लागू होता है - करो ,सीखो , जानो ,करते जाओ -आगे बढ़ते जाओ .
कोई भी दो अंक लिखे -----
मैंने लिखा ->
१६१
६१
You can convince me but you cannot dictate me. 
I am open only to logic and fairness. I will try to see and hear you with reasoning but not with any weakness towards you on any count.
Whether being born in an illustrious family is a guarantee of illustriousness and/ or the other way !
Why history is cited to govern us .
Whether people not born in so called illustrious families should be condemned for that.
कौन किसका बेटा, यह इतिहास किस काम का 
हर पल बनता है इतिहास ,यही है बस काम का

Wednesday, 15 October 2014

They came to me and begged pardon, telling that he was mad and they were sorry for his behavior. I told them there was nothing un-natural in his behavior under the circumstances and told them, “let him say if it can soothe his emotions”. “I am doing my duty and I do not mind his provocative behavior and utterances”
न्यायपालिका की स्वतंत्रता की धारणा क्या न्यायपालिका को निरंकुश ,अक्षम ,अयोग्य , आलसी ,अपारदर्शी ,मनमौजी ,स्वहितकारी होने का लाईसेंस  प्रदान करती है .
ये तो समाज का बेवजह अनुचित जिद्द ही होगा या निक्म्म्मापन ही होगा कि शिक्षा जड़ता की दिशा में चले। शिक्षा और ज्ञान तो  स्थिर अथवा एकाधिकार की वस्तु है ही नहीं।
दरअसल, राजनीति का टाइम स्केल छोटा होता है। सत्ता का भी टाइम स्केल बेहद कम होता है। समाज का टाइम स्केल बहुत लंबा है। लंबे टाइम स्केल में, किसी भी एक व्यक्ति में चाहे कितनी भी प्रतिभाएं हों, उसकी अपनी सीमाएं रहती हैं।

Tuesday, 14 October 2014

In India we have bazar and hat ( NOT MARKETS) which is a place where cultures meet and are exchanged, different people from different backgrounds can be found not only for trade,industry or commerce but for all other activities also which make the life complete
In India we have bazar and hat ( NOT MARKETS) which is a place where cultures meet and are exchanged, different people from different backgrounds can be found not only for trade,industry or commerce but for all other activities also which make the life complete
माता -पिता एवं गुरु के आलावा कोई भी किसी को बड़ा होने नहीं देता ----
बड़े बनने के लिया आपको इनके आलावा सभी से संघर्ष ही करना होगा . 
बाकी लोग आपका सहयोग नहीं करेंगें ,ऐसी बात नहीं है , वे आपका विरोध करेंगे ,आपके खिलाफ षड्यंत्र तक करेंगें , 
यदि आप इन सबके साथ लड़ कर सफल होते हैं तभी आप बड़े बनेंगें - 
हाँ ,इस लडाई में आपके माता पिता तथा गुरु का आशीर्वाद, दिया- सिखाया ज्ञान अवश्य काम आएगा ,
शेष आपका अपना कौशल तथा विशेष परिस्थिति का संयोग


प्लास्टिक के पाईप बिछाए ,समेटे ,खेती के खेत का रकबा बढ़ गया
बैल जो बिके ,खरीददार के घर भी न दिखे ,गोबर गाँव में ही घट गया .
पूरा का पूरा गाँव बुढा हुआ जा रहा,निर्जन ,जनानी , कच्चा बच्चा
जवानी सारी एक्सपोर्ट हुई ,झूठ सब कुछ हुआ ,गाँव खाता गच्चा
क्या कभी यह इच्छा नहीं होती कि तुम भी शेयर किये जाने लायक बनो .तुम्हारा सोचा , किया ,लिखा , कहा भी शेयर किया जाये ताकि वह सब तब भी रह सके जब तुम न रहो .

कुछ तो ऐसा कर जाओ जो सब के काम आ सके , सभी शेयर कर सके ,जिसके लिए उन्हें तुम्हें दाम देना या प्रणाम  करना न पड़े और वे निर्बाध ले सके.

कुछ तो ऐसे जी जाओ की लोग तुम्हें और तुम्हारा बिना शुक्रिया अदा किये भी ,बिना एहसानमन्द हुए भी शेयर कर सके ,खुश होते रहे ,तुम न भी रहो तो उन्हें बेवजह खुशियाँ दे सको ,वे खुशियाँ ले सके ,बाँट सके 

Monday, 13 October 2014

कितने अनंत गीत , कवितायेँ ,आज भी रोज लिखी जा रही है और उन्हें , उनको लिखने वालों को आज भी कोई जानता ,पहचानता नहीं .
जो श्मशान में शरीर के साथ ही पहुंचते हैं और शरीर की  पूरी तरह सारी  क्रियाएँ हो जाने के बाद श्मशान से लौटते हैं  उनके अनुभव अलग होते हैं - दर्शक -महानुभावों के अनुभव से .

और जिसने दस बार इस प्रकार श्मशान दर्शन और क्रिया को साक्षात्  शुरू से अंत तक देख लिया ,उसका व्यवहार विचार  बदल ही जायेगा .
आदमी अंत में खाली हाथ ही जायेगा .
निश्चित है .

उसके अपने ही उसे खाली हाथ ,हाथों को पीछे मोड़ ,शरीर के निचे दबा ,छाती पर भरी भरी लकड़ियाँ डाल अंततः कपाल क्रिया तक  कर डालते हैं.

आपका कोई अवशेष बच नहीं सकता .
सांस रुकी नहीं की बस आपको ठिकाने लगानेका सामूहिक उपक्रम शुरू .
यही एक उपक्रम है जब सारे परिवार के लोग एकमत होते हैं ,और सब मिलकर आपको जैसे आप इस  धरती पर आये थे वैसे  ही आपको भेज देते हैं .

सारा परिवार कितना निर्मम हो जाता है !

Sunday, 12 October 2014

Those responsible for big canvas operations think,do,act and react differently. They have different scales and parameters. They think big delegatinhly. They skip smalls confidently. They take risk courageously They face failures naturally. They invent new equations. They take and make new path.They live distributingly.. Disturbances come to them only for a short stay.They walk ahead without hesitation leaving behind loads that cannot be carried forward and they do not repent even for their instincts. Only they rise up to that big canvas Key holder and find out the right key to uncover the right BIG. They are rare and definitely different

Saturday, 11 October 2014

भूखा का मन सूखा
प्यासा होता हताश रे

मीठी बोली बोले
रोटी पानी की आश रे .

रोटी जाये पेट में
कंठ में जाये पानी रे


__________________________________
माँ की ममता का सागर ये, मेरी आँखो का तारा है. 
कैसे बतलाउ तुमको , किस लाड प्यार से पाला है
.
तुम द्वारे मेरे आए हो, मैं क्या सेवा कर सकता हूँ
ये कन्या रूपी रत्न तुम्हे, मैं आज समर्पित करता हूँ
.
मेरे हृद्य के नील गगन का ये चाँद सितारा है
मैं अब तक जान ना पाया था, इस पर अधिकार तुम्हारा है
.
ये आज अमानत लो अपनी, कर बँध निवेदन करता हूँ
ये कन्या रूपी रत्न तुम्हे, मैं आज समर्पित करता हूँ '
.
इससे तो भूल होगी, ये सरला है सुकुमारी है .
इसके अपराध माफ़ करना मेरे घर की राजदुलारी है
.
मेरी कुटिया की शोभा है,जो तुमको अर्पण करता हूँ
ये कन्या रूपी रत्न तुम्हे मैं आज समर्पित करता हूँ '
.
भैया से आज बहन बिछ्ड़ी माँ से बिछ्ड़ी माँ की ममता
बहनो से आज बहन बिछ्ड़ी , लो तुम्ही इसके आज पिता
.
मैं आज पिता कहलाने का अधीकर समर्पित करता हूँ
ये कन्या रूपी रत्न तुम्हे आज समर्पित करता हूँ ' '
.
था जिस दिन इसका जन्म हुआ ना गीत हुए ना शहनाई,
पर आज विदा के अवसर मेरे घर बजती शहनाई
.

ये बात समझकर मैं मन ही मन रोया करता हूँ, 
ये कन्या रूपी रत्न तुम्हे आज समर्पित करता हूँ 
भुला दिए जाने का अधिकार मांगता मैं-------
क्या मैं अपना इतिहास फिर एक बार लिख सकता हूँ
कुछ इस तरह कि जो कुछ कडुआ हो वह मिट जाये .
क्या मैं कुछ दरख्वास्त तुमसे फिर भी कर सकता हूँ
कि मेरे इतिहास में से जो मैंने हटाया ,उसे भूल जाओ
अधिकार मुझे दो कि खुद को जहाँ जब चाहूँ,भुला दूँ
कोई मेरे इतिहास को ,मेरी इजाजत बिना कुरेदे नहीं .
जितनी इजाजत उतना ही याद करना ऐ दुनिया वालों ,
बिना इजाजत के याद से आगे का सफर भारी होता 


Match and mix,is worldwide accepted diplomatic, political and administrative policy at top levels.
Suitable matches are often handpicked
हम ताकत भर मोल भाव करते हैं--हम इनसे कम से कम आदर सहित तो कभी भी नहीं बोलते ----
रिक्से वाले से ,सब्जी वाले से , मेकेनिक -मिस्त्री से ,जूता रिपेयरिंग या पालिश करने वाले से ,मिटटी के बर्तन बेचने वाले से, फूल बेचने वाले से ,सफाई वाले मजदूर से , घर में काम करने वाली बाई या घरेलू नौकर से ,अनपढ़ या कम पढ़े लिखे ग्रामीण मजदूरों से ------------
पर बड़े गर्व से फाईव स्टार होटलों का बिल तथा मोटी टिप देने में गर्व महसूस करते है,
ब्रांडेड कपड़ों ,जूतों ,स्प्रे , डियो ,परफ्यूम ,ड्रिंक्स ,टाई ,डी जे , बार , मसाला ,धुंआ , एडवेंचर गेम्स आदि आदि पर या विलासिता के अन्य खर्च के समय तो मोल भाव नहीं करते -
दिल खोल कर पैसा लुटाते हैं और अपनों को दिखाते हैं --------
सीमांत मजदूर से डील करते समय हम इतने निर्दयी ,कंजूस क्यों हो जाते हैं ?
पुकारने पर तो भागवान आते हैं ,
अपने तो बस आते ही चले जाते हैं.
तप,तपस्या ,भोग ,दूसरों के लिये 
अपने तो बस अकारण चले आते हैं 
बाकी सब तो धर्म से या कि कर्म से 
अपने तो बस शर्म से ही चले आते हैं


क्या मैं अपना इतिहास फिर एक बार लिख सकता हूँ
कुछ इस तरह कि जो कुछ कडुआ हो वह मिट जाये .
क्या मैं कुछ दरख्वास्त तुमसे फिर भी कर सकता हूँ
कि मेरे इतिहास में से जो मैंने हटाया ,उसे भूल जाओ
अधिकार मुझे दो कि खुद को जहाँ जब चाहूँ,भुला दूँ
कोई मेरे इतिहास को ,मेरी इजाजत बिना कुरेदे नहीं .
जितनी इजाजत उतना ही याद करना ऐ दुनिया वालों ,
बिना इजाजत के याद से आगे का सफर भारी होता है


क्या मैं अपना इतिहास फिर एक बार लिख सकता हूँ
कुछ इस तरह कि जो कुछ कडुआ हो वह मिट जाये .
क्या मैं कुछ दरख्वास्त तुमसे फिर भी कर सकता हूँ
कि मेरे इतिहास में से जो मैंने हटाया ,उसे भूल जाओ
अधिकार मुझे दो कि खुद को जहाँ जब चाहूँ,भुला दूँ
कोई मेरे इतिहास को ,मेरी इजाजत बिना कुरेदे नहीं .
जितनी इजाजत उतना ही याद करना ऐ दुनिया वालों ,
बिना इजाजत के याद से आगे का सफर भारी होता है


How we rely on the institution that works only 7 hours a day and only 200+/-20 days a year and the work can be stopped any moment by a few hundred gentlemen cream of the society for any length of time - and as always no question asked. An adjournment institution.
Judges do not lead. Leaders do not judge.
Leaders are judged by history to come.
Judges do not judge present, not intervene the ongoing present, they judge past to enlighten future.
Present is the domain of executive and legislative leaders.
Past has to be examined by judges to set the path of future.
Just like Keshvanand case way
Judges do not lead. Leaders do not judge.
Leaders are judged by history to come.
Judges do not judge present, not intervene the ongoing present, they judge past to enlighten future.
Present is the domain of executive and legislative leaders.
Past has to be examined by judges to set the path of future.
Just like Keshvanand case way
Take care of everybody's NEED .Let not you be taken by GREED.
Because all the needs of all the men can always be met..
but greed of even one can never be fulfilled.
Take care of everybody's NEED .Let not you be taken by GREED.
Because all the needs of all the men can always be met..
but greed of even one can never be fulfilled.
क्यों बहक गया था तू .क्यों बहका मेरा पगला मन
आओ लौट चले फिर वहीँ ,मिले जहाँ छूटा था बचपन
एक था बिस्तर ,एक ही रजाई, गुत्थमगुत्था सोते हम
आओ लौट चले फिर वहीँ ,मिले जहाँ छूटा था बचपन

Friday, 10 October 2014

यदि एक व्यक्ति के एक घंटे की कॉस्टिंग  मिनिमम १०० रपये हो ,और प्रत्येक ब्यक्ति वर्ष में पांच घंटे भी फ़ेसबुक पर लगाता है  तो टोटल फ़ेसबुक यूजर  1,310,000,000. x 5 x 100 ==655,000,000,000 रूपये का सीधा फ्रेश इन्वेस्टमेंट है प्रतिवर्ष .

Tuesday, 7 October 2014

बताते तो जाओ तुम कौन हो ?
मैं भी तो जानू ,तुम कौन हो !

ठिठक ठिठक कर यूँ पढ़ते
फफकते फिरते ,तुम कौन हो !

ताकते , झांकते ,यूँ मंडराते
हुलकते  फिरते तुम कौन हो !

 ठिठको ,फफको ,ताको झांको
बंद करो यह सब ,मैं खुला खड़ा हूँ .

 अपने शुभचिन्तकों और हितैषियों की नेक सलाह न मानने का परिणाम बुरा होता हैं।
 अपने शुभचिन्तकों और हितैषियों की नेक सलाह न मानने का परिणाम बुरा होता हैं।
 अपने शुभचिन्तकों और हितैषियों की नेक सलाह न मानने का परिणाम बुरा होता हैं।
कंजूसों में यह आदत होती ही हैं। कंजूसों की अपने घर में भी खिल्ली उडती हैं, पर वह इसे अनसुना कर देते हैं।

Monday, 6 October 2014

विचारो को आकार लेता देखना ,विचारों पर पहला अमल होते देखना लोग पचा नहीं पाते .
उन्होंने तो पूरा जीवन विचार और व्यवहार को अलग अलग तथा भिन्न देखा है
.वे समझ ही नहीं पाते की जो विचारा , जो कहा , जो लिखा हू ब हू वह किया कैसे जा सकता है .
विचार वाणी और कर्म को एक करने वाला या उन्हें एक समझने वाला या एक देखनेवाला हमको आपको पचता नहीं , ह्म उसे उपहास भरे आश्चर्य की निगाह से देखते हैं
Only trial court lawyers are masters of two important justice tools -- "pleadings " and cross-examination.
They use it ,misuse it to make or unmake a case because only they get the first opportunity.to try their hands, mind and wisdom with these tools.
The so called law biggies only repair ,explain or expand only
Only trial court lawyers are masters of two important justice tools -- "pleadings " and cross-examination.
They use it ,misuse it to make or unmake a case because only they get the first opportunity.to try their hands, mind and wisdom with these tools.
The so called law biggies only repair ,explain or expand only
Only trial court judges face the raw expectations, actions ,reactions of all the stakeholders of this gigantic justice delivery system.
Only those ground level judges are witnesses to the professional language of the raw litigant and his almost trainee lawyer.
They ,see,understand and handle all the tricks played by the different stakeholders.
They face the,outburst of the different stakeholders.
They really face it , taste it ,try to rise up to the competing expectations under the immediate pressure of all the stakeholders, that too almost without any or little assurance of safety, security and dignity.
They are the only lot who decide, (each time they deliver a judgement), against a person in the physical presence of a litigant who is never ready to hear a verdict against him 
If you are ahead of them, they will talk ill of you in your absence.
If you are meek,and behind them, they would talk big of you to use you.
Never hear what they say behind your back.
They are either laying a trap or are jealous.
Simply keep your eyes and mind open in working order.
इन्सान खुद भी हर फुस्स फुस्स और धीमी आवाज की बात को अपने ऊपर ही लेता है, क्योकि उसको लगता है कि उसी के बारे में बात हो रही होगी l
इससे बचें .
 Until and unless you change the character of indian politics and indian public life that has grown in the last century you will have to guess only why hypocrisy has become an integral part of our public life and ask me ??????

Only trial court lawyers are masters of two important justice tools -- "pleadings " and cross-examination.
They use it ,misuse it to make or unmake a case because only they get the first opportunity.to try their hands, mind and wisdom with these tools.
The so called law biggies only repair ,explain or expand only
Only trial court lawyers are masters of two important justice tools -- "pleadings " and cross-examination.
They use it ,misuse it to make or unmake a case because only they get the first opportunity.to try their hands, mind and wisdom with these tools.
The so called law biggies only repair ,explain or expand only
Until and unless you change the character of indian politics and indian public life that has grown in the last century you will have to guess only why hypocrisy has become an integral part of our public life and ask me ??????

Sunday, 5 October 2014

छोड़ तो मैं जाऊंगा पर फिर रहने के लिए आपके दिलों में हो आया करूंगा -ख़याल में

They all are there only to use you.
विचारों को जीना ,उनमे रहना , उनके साथ उठना -बैठना ,उन्हें ओढ़ना -बिछाना और उन्हीं में बस जाना ,रह जाना और फिर भविष्य में नई पीढ़ी द्वारा वहीं कहीं घूमते फिरते खोज लिया जाना - यह एक थ्रिल है ,चैलेंज है , इम्तिहान है -किसी ने मेरे लिए कुछ तो खोज ही लिया है -
कोतवाल के सिखावे,क्यों सीखे शहर 
कोतवाल के दिखावे,क्यों देखे शहर
कोतवाल के चलावे ,क्यों चले शहर
कोतवाल के बिगाड़े ,क्यो बिगड़े शहर
कोतवाल बड़ा क्यों ,शहर छोटा क्यों 
अपने से सीख, देख, क्यों न चले शहर
बिगाड़ देवे कोई तो क्यों बिगड़े शहर
कोतवाल इत्ता बड़ा ! शहर क्यों नहीं ?
बढ़ने के लिये उगना ,
लड़ते ,झगड़ते बढ़ते रहना
उगना और बढ़ना
बस इत्ता सा तो जीवन है .
उगोगे तो वे रोकेंगें
तुम्हें लड़ना ही होगा
बढ़ोगे तो वे रोकेंगें
तुम्हें झगड़ना ही होगा
तुम उगोगे ,वे जलेंगें
इत्ता तो सहना ही होगा
तुम बढोगे , वे जलेंगें
इत्ता तो सहना ही पड़ेगा
उग ही जब जाओगे
वे झुकेंगे ,सावधान रहना
बढ़ ही जब जाओगे
वे पूजेंगे ,सावधान रहना
तुम उग ही जाओगे
तुम बढ़ ही जाओगे
वे पूजे तो सावधान
बस इत्ता ही जीवन है
अपेक्षा और उपेक्षा साथ साथ नहीं चला करती .

Saturday, 4 October 2014

इतिहास ही सब कुछ नहीं है ...


भारतीय सविधान निर्माता अद्वितीय सामाजिक ,राष्ट्रिय ,राजनैतिक दृष्टिकोण रखते थे .
उन्होंने विधायिका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के लिये अलग अलग अलग व्यवस्था की .
चुनाव ,हिसाब -किताब ,सुरक्षा के लिए भी अलग ब्यवस्था की .
संविधान के प्रावधानों को देखें .
सबसे आश्चर्यजनक ब्यवस्था है - प्रत्येक पदधारियों को दिलाये जानी वाली पद और गोपनीयता की शपथ का प्रावधान . 
प्रत्येक शपथ की शब्दावली अन्तर है .
प्रत्येक शपथ का संविधान में स्थान भी अलग है .
केवल राष्ट्रपति (अ -६०),उपराष्ट्रपति (अ -६९ )तथा राज्यपाल (अ-१५९ )की शपथ प्रारूप संविधान के एक स्वतंत्र अनुच्छेद के रूप में मूल संविधान का हिस्सा है .
बाकी सारे शपथ प्रारूप संविधान के अंत में एक तालिका (शेड्यूल ३ ) के रूप में जोड़े हुए हैं . यह अन्तर अकारण नहीं हो सकता , न है .
जनहित के नामपर शपथ उठाने वाले केवल राष्ट्रपति एवं राज्यपाल होते है .
अन्य किसी के शपथ प्रारूप में जनहित शब्द है ही नहीं
यह अकारण नहीं हो सकता .एक पद के साथ निर्धारित शपथ उस पद की मूलभावना ,सीमा को परिभाषित करती है .
जिस प्रकार संविधान की प्रस्तावना जनता द्वारा ली गई शपथ है और संविधान की मूल विशेषता स्पष्ट करते है उसी प्रकार शेष सभी संविधान के शपथ प्रारूप उस पद की बेसिक फीचर डीफाइन करते हैं.
इस प्रकार स्पष्ट है की भारतीय संविधान में राज्य के अनंतिम दायित्व 'जनहित ' में कुछ भी करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है , अथवा राज्यपाल को .
अब जनहित क्या होगा क्या इसे निर्धारित करने का अधिकार किसी को भी हो सकता है .
जो भी यह अधिकार अपने उपर लेते हैं वे संविधान की इस मूर्धन्य व्यवस्था का अतिक्रमण करते हैं, फिर चाहे वह मैं ही क्यों न हौऊ .
जनहित के नाम पर अपने क्षेत्राधिकार को निरंतर बढ़ाने वाली संस्था क्या दूसरी संवैधानिक संस्थाओं के क्षेत्राधिकार में अनावश्यक लगातार हस्तक्षेप से बाज आये गी , दूसरी संस्थाओं पर भरोसा नहीं करना , अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझना , दूसरों को इतर समझना बंद करेगी
अपने आप को सर्व शक्तिमान ,सबसे बुद्धिमान समझना बंद करेगी ..राज्य के द्दुसरे अंगों पर भरोसा करना ही चाहिये .
भारतीय संविधान निर्माताओं ने जनहित को राज्य के एक अलग अंग के रूप में अलग से विकसित कर शक्ति के विकेन्द्रियकरण को नये राजनैतिक रूप में परिभाषित किया था .
मैं तो असहमत हूँ कि शहर सिखावे कोतवाली .
गया समय कि  सोलह साल का बच्चा भी राजा बन जाये .अंधे को राजा बनने , बनाने का अवसर देने वाला समय भी नहीं रहा .
शहर से अनजान .,शहर वालों से अनजान ,ब्यवस्था से अनजान ,शहर की आकांक्षा -ब्यवस्था से अनजान ,शहर के प्रति अपने दायित्व को न समझ पानेवाला,  न समझ सकने की योग्यता रखने वाला कैसे कोतवाल बनाया जा सकता है .शहरवासी कोई प्रयोगशाला तो हें नहीं की टेस्ट करो ,गलतियाँ करो और सीखो .
हम चूहे , बन्दर आदि तो हैं नहीं जिनपर टेस्ट करने का लाईसेंस मिला करता हो .
अनट्रेंड कोतवाल , जज ,  कलक्टर डाक्टर , सैनिक ,संत्री  ,मंत्री -भई मुझे तो बर्दास्त नहीं .
समझ में नहीं आता जिन्हें अपने काम को कभी सिखाया ही नहीं गया , उन्हें वह काम हम ,आप ,और वे क्यों सौंप देते हैं.
बिना जिम्मेवारी के कोई न रहे .
बच्चा अपने माँ -बाप की सम्पत्ति का उत्तराधिकारी हो ,मुझे कोई आपत्ति नहीं है
लोकपद उत्तरिधाकार में नहीं दिया जा सकता . लाटरी या भाग्यवश भी इन पदों का फैसला नहीं होना चाहिये .
केवल तपे-तपाये प्रशिक्षित प्रमाणित अनुभवी लोगों को ही लोक पदों पर शक्ति दी जनि चाहिए - नौसिखीये को नहीं .


From oligarchy to democracy- can we walk ?
From oligarchy to democracy-do we want ?
From oligarchy to democracy-Can we do ?
From oligarchy to democracy-will they allow ?
From oligarchy to democracy- can we stand ?
From oligarchy to democracy-can we fight ?
From oligarchy to democracy-do we deserve ?
From oligarchy to democracy-can we afford?
From oligarchy to democracy-Is it possible ?


मैं पालने में नहीं ,हादसों की गोद में पला हूँ ,
हादसे आज भी दीखते हैं तो हौसला बढ़ता है
विरोध देख कर ताकत आती ही चली जाती है
जब कोई झुकाता है तो अकड़ता चला जाता हूँ
हादसे मेरे अपने ,बहारे तो हर वक्त तुम्हारी है 
हादसे से आती खुद्दारी मेरी , बाकी तुम्हारी है
 Live,heal and leave. Art of healing is a part of art of leaving.
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो 
आँखों का दृष्टि स्पर्श ,अमर हो जायेंगे 
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो 
मन का स्मृति स्पर्श , अमर हो जायेंगे
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो 
ह्रदय का भाव स्पर्श ,अमर हो जायेंगे
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो 
ओठों का वाणी स्पर्श , अमर हो जायेंगें 
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो 
बुद्धि चक्षु का स्पर्श ,अमर हो जायेंगें 
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो

ह्रदय का भाव स्पर्श ,अमर हो जायेंगे
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो
ओठों का वाणी स्पर्श , अमर हो जायेंगें
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो
बुद्धि चक्षु का स्पर्श ,अमर हो जायेंगें
मेरे शब्द को स्पर्श दो , अमर कर दो
आसमान के झुकने तक , मेरे हौसलों का इम्तिहान हो जाने दो
मुझे खोल कर पढ़ कर देखिये , देखिये तो सही ,प्लीज ; पूरा देखिये न ! शुरू से अंत तक देखिये ..
शायद मैं आपको छू सकूं .
प्लीज ,आप सब को छू लेने दीजिये , जाने आप में से किसके स्पर्श से मेरा उद्धार हो जाये ,मेरी दशा -दिशा बदल जाये - बंध ख़ुल जाये .
आप मुझे पढ़ भर लें ,मैं आपको छू भर लूँ - बस यही हसरत पाले जाने कब से, कब तक; जी रहा हूँ , जीता रहूँगा .
इम्तिहान अभी और भी बाकी हैं, सभी को हो तो जाने दो 
उत्तर बहुत सारे है ,जीतने भी प्रश्न हैं ,सभी को आने दो
आप सभी को मैं क्या देता जाऊंगा ,सोच रहा हूँ . ऐसा क्या छोड़ता जाऊंगा जिसमें मेरे जाने के बाद भी मैं रह सकूंगा 
 देखो ,मैं तो अकेले चला तो ,कारवां यूँ बनता चला गया i
Yes,I am a student and regular practitioner of ART OF LEAVING.
Having lived, I have to leave.
I Live gracefully , I 'll leave gloriously and leave behind my supreme ! Let them live more gracefully.
बिना पोलिटिक्स को बीच में लाये भी अच्छी बातें कही व् करी जा सकती है .सब कुछ पोलिटिक्स ही हो जरूरी तो नहीं . ( Do ,learn, teach and spread some good things without bringing in politics), I,me,my and mine is not all and everything. Please walk beyond this->->
Let us have an
"IP Police",
"IP Intelligence services",
"IP Safety Services" 
," IP International SEcurity Army"
," IP awareness camp at Panchayat level"
,"IP administration Authority",
"IPsoft-information hubs "
"IP Scrap Bank",
"IP Reconstruction Mechanism "
"IP Discovery and disclosure center " and so on ->->->

," IP awareness camp at Panchayat level"
,"IP administration Authority",
"IPsoft-information hubs "
"IP Scrap Bank",
"IP Reconstruction Mechanism "
"IP Discovery and disclosure center " and so on ->->->
IP is going to be our greatest concern in coming years. Why cannot we safeguard our IP WEALTH- it is our NATIONAL WORTH_____

Let us have an "IP Police", "IP Intelligence services", "IP Safety Services" ," IP International SEcurity Army"," IP awareness camp at Panchayat level" ,"IP administration Authority","IPsoft-information hubs " "IP Scrap Bank", "IP Reconstruction Mechanism " ,IP Discovery and disclosure center 

few short write ups in local vernaculars may be helpful - an online awareness drive may be a starting point.Let the message flow in the common man's language and terms. Let the Desi Service providers feel the thirst and thrust-----

 IP world to-day is an economic world, economic issue and IP creation is a manufacturing activity ,of course of a different kind ---- Now a days it is not only a legal issue ---- of course like all other human activities now we are trying to regulate through law----

Many IP firms related issues will disappear if the law firms related to IP, KPOs, IT firms related to IP, valuation firms related to IP started working in a consortium manner in a coordinated manner. Further, they need to take the guarantee of the service providers.