निर्ल्लज्ज भाव से सहायता के लिये बुलाना ,पुकारना ही वह बिन्दु है जहाँ ईश्वरीय सहायता नीचे धरती पर आती है ,हमारे पास पहुंचती है .कातर भाव , दीन भाव ही कृपा प्राप्ति का आधार है . बेवजह अभिमान प्रगति ,प्रश्रय ,परिश्रम ,प्रेरणा , प्रेम को रोकता है , मार्ग अवरुद्ध करता है .
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