Tuesday, 24 February 2015

विचारों को सम्भाल कर रखने का एक ही रास्ता है - उन्हें सार्वजनिक कर दो .
विचारों की स्वच्छता का एक ही मार्ग है इसे सार्वजनिक निन्दा स्तूति ,स्वीकृति-अस्वीकृति - मुल्यांकन के लिये स्वच्छंद स्वतन्त्र छोड़ दो . विचारों को चलने दो ,घुमने फिरने दो ,मिलने-जुलने दो .
विचर स्वतः अपना मूल्य-तल -स्वरूप स्थान पा लेगा .

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