जिसके पास जितना छिपाने के लिये होता है वह जबान पर उतना ही बड़ा ताला लगा लेता है . लोकपद धारी यदि जनता से खुद को , खुद का छिपाते हैं तो यह तो अच्छा नहीं ही है . जन साधारण को आपके बारे में सम्पूर्णता से जानने का अधिकार है .लोक-पद -धारी को यथा संभव पारदर्शी होना ही चाहिये .
लुका-छिपी का खेल लोक-पद -धारी को शोभा नहीं देता .
जैसा हो वैसा ही दिखो ,जो कहते हो वही करो , जो करते हो वही बोलो, बताओ , जो समझते हो वही बोलो, करो , जो भी बोलो समझ कर बोलो , जो समझ में आये -समझा सको वही कहो -करो , बोलो .
लुका-छिपी का खेल लोक-पद -धारी को शोभा नहीं देता .
जैसा हो वैसा ही दिखो ,जो कहते हो वही करो , जो करते हो वही बोलो, बताओ , जो समझते हो वही बोलो, करो , जो भी बोलो समझ कर बोलो , जो समझ में आये -समझा सको वही कहो -करो , बोलो .
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