पटना। बागबानों की स्थिति तब बहुत दयनीय हो जाती है, जब वो अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं। इस अवस्था में वे कई बार किसी की सहायता के तलबगार हो जाते हैं। बुजुर्गो के सामने सबसे बड़ी आफत तब हो जाती है, जब उन्हें अपने बच्चों या फिर अपने परिजन ही उनके हक से वंचित करने की कोशिश की जाती है। इन समस्याओं का मुख्य कारण होता है अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होना।
बुजुर्गो के अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश रतेरिया
बुजुर्गो को अपने अधिकारों के प्रति अवश्य ही जागरूक होना चाहिए। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि वृद्ध लोगों की न सिर्फ दयनीय स्थिति पर सोचने की बल्कि उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है। इस विषय पर मुझे न्यायमूर्ति शांति स्वरूप दीवान की याद आ जाती है, जिन्हें अपने ही घर से उनके बच्चों ने बाहर करने का फैसला लिया और इस बात से आहत उन्होंने पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट में 2013 में एक याचिका दायर की। मेरा कहने का ये मतलब है कि अगर एक न्याय देने वाले व्यक्ति को जब इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है तो फिर आम आदमी को तो अधिकारों के बारे में जरूर जागरूक होना चाहिए।
1. जो बुजुर्ग समय रहते अपने उत्तराधिकारी अथवा रिश्तेदार को उपहार स्वरूप या फिर उनका हक मानते हुए अपनी संपत्ति उन्हें स्थानांतरित कर देते हैं, परंतु बाद में अपने भरण पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए धन पाने में असफल रहते हैं, वे ट्रिब्यूनल में अपील कर अपनी जायदाद वापस ले सकते हैं और संपत्ति हस्तांतरण रद्द करवा सकते हैं।
2. द मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 बुजुर्गो के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है। इसमें प्रत्येक बुजुर्ग अपने अनुमंडल में अनुमंडलीय अधिकारी से अपने बच्चे से उपेक्षा या प्रताड़ित किए जाने पर अपनी सुरक्षा की मांग कर सकते हैं। इसमें उन्हें अपने जीवन निर्वाह के लिए भत्ता उनके बच्चों की आर्थिक स्थिति और माता-पिता की आवश्यकताओं के अनुरूप आनुपातिक रूप से मिलेगा।
3. उच्चतम न्यायालय की घोषणा के अनुसार वैसे मुकदमों की सुनवाई, जिसमें सीनियर सिटीजन पक्षकार हों, उनकी सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर जल्द किया जाएगा।
4. उच्चतम न्यायालय ने कई बार उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि समस्त अधीनस्थ न्यायालयों में ऐसे मुकदमों की सूची बनाई जाए जिनमें सीनियर सिटीजन पक्षकार हों, ऐसे मुकदमें शीघ्रातिशीघ्र निस्तार किए जाएंगे।
5. वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे के किराए में चालीस प्रतिशत छूट दी जाती है। महिला वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह छूट 50 प्रतिशत है। रेलवे के अनुसार वरिष्ठ महिला नागरिक वह हैं जो 58 वर्ष हो चुकी हैं।
6. साठ से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को वरिष्ठ नागरिक का दर्जा प्राप्त है और वे उनके लिए निर्धारित सरकारी सुविधाओं के हकदार हैं।
6. आयकर विभाग के नियम में भी बदलाव कर अब वरिष्ठ नागरिकों की आयु सीमा साठ साल कर दी गई है। अत: सभी वरिष्ठ नागरिक आयकर लाभ छूट ले सकते हैं। वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों को अपनी तीन लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर देय नहीं है। अति वरिष्ठ नागरिक जिनकी उम्र 80 वर्ष हो चुकी है, उनकी पांच लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर देय नहीं है।
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