बचपन से ही ब्यक्ति के यौनाचार सम्बन्धी आचरण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अक्सर बड़े ही बचपन को असामान्य ब्यवहार की अंधी गलियों में धकेलते है। बचपन का अपने से बड़ों का असामान्य यौनाचार सम्बन्धी ब्यवहार न केवल बच्चों के ब्यवहार को जाने अनजाने एक दिशा दे जाता है वरन बच्चों के तन मन पर एक स्मृति और बड़ों के प्रति एक धारणा भी स्थायी रूप से छोड़ जाता है।
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