Wednesday, 25 July 2018

केवल कठिन ही है , आनन्द दायक है , लज्जाजनक तो नहीं !!
स्वीकार करना , स्वीकार किये जाने योग्य बनना , बने रहना , बनाना , बनाते रहना - यही तो जीवन है , और इसी का विस्तार जीवन का लक्ष्य होता है।
श्रद्धा -विश्वास के दलाल ब्यापारियों से मुक्त हों लें।

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