सत्य कई बार वीभत्स ,भयानक ,रौद्र भी होता है .
मेरे लिखे में श्रृंगार-बसंत -बहार- नख-शिख वर्णन का अभाव मिलेगा .
क्षमा प्रार्थी हूँ .लज्जित हूँ .
इस प्रदेश में मैं आ-जा तो सकता हूँ ,ठहर नहीं सकता , डूब नहीं सकता,रमण नहीं कर सकता ,
सावन अच्छा लगता है पर यह सम्पूर्ण जीवन नहीं हो सकता .
अहिंसा अच्छा विचार है पर इसके आधार पर एक पूरा समाज गठित नहीं किया जा सकता.
जीवनमुझे शुरू से पढो. मुझे अच्छा लगेगा . मैंने वही लिखा है जो में सोचता रहा हूँ .
एक गुलदस्ता है -अनंत विचार , रंग , फूल ,रास्ते ,क्रिया ,प्रतिक्रिया , सम्भावना ,नया आता रहता है ,पुराना जायेगा ही ,और इन सबके साथ समानुपातिक समन्वय ही जीवन है
बस उसे गति शील होना चाहिये -
कभी यह गति उर्ध्वगामी होती है , कभी अधो गामी ,पर यह तो जीवन के लक्ष्ण है , इनसे परहेज कैसा .
किसी एक विचार क्रिया ,लक्ष्य से सम्पूर्ण जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती . जीवन में जीवन भी है - उसी मात्र में मृत्यु.भी .जीवन नित्य नवीं है .
मेरे लिखे में श्रृंगार-बसंत -बहार- नख-शिख वर्णन का अभाव मिलेगा .
क्षमा प्रार्थी हूँ .लज्जित हूँ .
इस प्रदेश में मैं आ-जा तो सकता हूँ ,ठहर नहीं सकता , डूब नहीं सकता,रमण नहीं कर सकता ,
सावन अच्छा लगता है पर यह सम्पूर्ण जीवन नहीं हो सकता .
अहिंसा अच्छा विचार है पर इसके आधार पर एक पूरा समाज गठित नहीं किया जा सकता.
जीवनमुझे शुरू से पढो. मुझे अच्छा लगेगा . मैंने वही लिखा है जो में सोचता रहा हूँ .
एक गुलदस्ता है -अनंत विचार , रंग , फूल ,रास्ते ,क्रिया ,प्रतिक्रिया , सम्भावना ,नया आता रहता है ,पुराना जायेगा ही ,और इन सबके साथ समानुपातिक समन्वय ही जीवन है
बस उसे गति शील होना चाहिये -
कभी यह गति उर्ध्वगामी होती है , कभी अधो गामी ,पर यह तो जीवन के लक्ष्ण है , इनसे परहेज कैसा .
किसी एक विचार क्रिया ,लक्ष्य से सम्पूर्ण जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती . जीवन में जीवन भी है - उसी मात्र में मृत्यु.भी .जीवन नित्य नवीं है .
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