Sunday, 23 June 2013

मैंने समाज में रहना ही इसी लिये स्वीकार किया था कि मै निजत्व की रचना करना चाहता था। मैने वचन दिया था कि मैं आप सभी के निजत्व की रक्षा में अपना योगदान दूँगा तथा बदले मैं मुझे मेरे निजत्व की रक्षा का आश्वासन मिला था।
समाज की रचना का यही आधार है, था, रहेगा

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