Monday, 24 June 2013

वैसे मैं आज आपको बताने के लिये आगे बढ़ रहा हूँ।
मैंने आज जाना ही है इसे।
छैसे यह बात कई दिनों से मेरे समक्ष बार बार उपस्थित तो हो रही थी।  मैं समझने लगा था कि मुझे बनाये जाने के पहले इंजीनियर या नक्शा बनाने वोलों ने कोई नक्शा नहीं बनाया था। न हीं मेरे लिये कोई निंव ही खोदी गई। मुझे पूरा विश्वास भी है कि मेरे पास आप में से अधिकांश की तरह कोई नींव तो है ही नहीं,उसके पोख्ता या मजबूत होने का कोई प्रश्न कहाँ।ईसलिये मैं सदैव टूटने या उखढ़ने से डरता रहा हूँ।
जैसे कोई कोमल पौधा अपनी कोमल जड़ों से धरती के अन्दर प्रवेश करने की कोशिश कर रहा हो, अपने अस्तित्व की तलाश कर रहा हो, स्वरूप धारण कर रहा हो, अँकुराने से ले कर एक सुरक्षित सा दिखने वाला पौधा बनने की शुरूआती यात्रा- कुछ इसी तरह मैंने आज तक की यात्रा पूरी की है।

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