रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
अपने जाने के पहले
सब कुछ बदल कर यूँ
यूँ कहाँ जा रहे हो।
शब्द बदले
अर्थ बदल डाला है
दशा औ दिशा बदली
गंतब्य बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो।
प्रर्थी की प्रर्थना बदली
अब्यर्थी की अभ्यर्थना बदल डाला है
निन्दनीय की निन्दा बदली
वन्दनीय की वन्दना बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
लक्ष्मण की रेखा बदली,
हदों की हद को ही बदल डाला है
प्रतिबन्ध का बंध बदला
सुरक्षा की रक्षा को ही बदल डाला है ।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
भाषा तो बदल डाली
परिभाषा तक तो भी बदल डाला है
इतिहास बदला, भूगोल बदला
खूद को,भविष्य को यूँ क्यूँ बदलडाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
उचित को अनुचित बदला
सत्य को ही असत्य में बदल डाला है
पाप बदला, पुण्य बदला
अनर्थ को ही अर्थ में बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
इसको बदला, उसको बदला
खुद को ही इतना बदल डाला है
धरती बदली, अम्बर बदला
उसको भी इतना बदल डाला हे।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
अपने जाने के पहले
सब कुछ बदल कर यूँ
यूँ कहाँ जा रहे हो।
शब्द बदले
अर्थ बदल डाला है
दशा औ दिशा बदली
गंतब्य बदल डाला है।
अपने जाने के पहले
सब कुछ बदल कर यूँ
यूँ कहाँ जा रहे हो।
शब्द बदले
अर्थ बदल डाला है
दशा औ दिशा बदली
गंतब्य बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो।
प्रर्थी की प्रर्थना बदली
अब्यर्थी की अभ्यर्थना बदल डाला है
निन्दनीय की निन्दा बदली
वन्दनीय की वन्दना बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
लक्ष्मण की रेखा बदली,
हदों की हद को ही बदल डाला है
प्रतिबन्ध का बंध बदला
सुरक्षा की रक्षा को ही बदल डाला है ।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
भाषा तो बदल डाली
परिभाषा तक तो भी बदल डाला है
इतिहास बदला, भूगोल बदला
खूद को,भविष्य को यूँ क्यूँ बदलडाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
उचित को अनुचित बदला
सत्य को ही असत्य में बदल डाला है
पाप बदला, पुण्य बदला
अनर्थ को ही अर्थ में बदल डाला है।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
इसको बदला, उसको बदला
खुद को ही इतना बदल डाला है
धरती बदली, अम्बर बदला
उसको भी इतना बदल डाला हे।
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
रुको, टहरो, यूँ कहाँ जा रहे हो
अपने जाने के पहले
सब कुछ बदल कर यूँ
यूँ कहाँ जा रहे हो।
शब्द बदले
अर्थ बदल डाला है
दशा औ दिशा बदली
गंतब्य बदल डाला है।
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