मुझे
अपने मन की करने का हक तो है पर अनुचित करने का हक नहीं है, बहुत सारे
उचित रास्तों में से एक उचित रास्ता ही चुन लेना चाहिये, जो मन को अच्छा
लगे उस तर्क पर अनुचित, या मेरा मन मैं जो चाहूँ करूँ, तुम बोलने वाले कौन,
उस आधार पर मनमौजी उनुचित, लोकरीति के विरुद्ध करने का हक मुझे तो नहीं
है, तुम्हारी तो तुम जानो । मेरा आचरण मेरी जिम्मेवारी है।
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