Wednesday, 1 May 2013

कहो तुम कैसे हो-
छले गये
बाली
राहु
केतु
एकलब्य
बर्बरीक
जैसे मत रहना
अमरत्व के लालच में।

... मर ही गया कर्ण
मेधनाद
कुम्भकर्ण
ये सब मार दिये गये थे
निरपराध
केवल
मित्रघात
वा कि
कुलघात
नही करने के कारण।

तो क्या हुआ
अभिमन्यु
किस अपराध के कारण मारा गया।

मरने के पहले
तुम्हे कोई छल ले
फिर चाहे वह विधाता ही क्यों नहीं हो
निश्चित मृत्यु जान कर भी
उससे पहले लड़ते हुए
मरने का निशचय कर
युद्ध मे खीँच लाना
उस छली को ।

छले जाने से
मिले अमरत्व से
यह रास्ता श्रेयष्कर है
अमरत्व नही भी मिले तो भी ।

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