दिये के बुलन्द हौसलों को देख आप भी हीम्मत तो बाँध ही सकते हैं, जीतना और हारना तो बाद की बात है, बिना लड़े क्या अन्धेरा आपका पिन्ड छोड़ देगा, जब नन्हे से दिये ने आजतक हार नहीं मानी तो आप फिर से खड़े हो कर उम्मीद बाँध आ जाइये, मैं आपके साथ हूँ, पहले भी था, आज भी हूँ, ईस्वर ने चाहा तो आगे भी इसी तरह आपके लिये दुआ माँगता मिलूगाँ----
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