सदियों से पसरे दोनों किनारे
अपलक निहारते, मिलते नहीं।
पीड़ा उनकी , कहीं जाती नहीं
देखी जाती नही, कही जाती नहींं।
नाचते फिरी लहरें बावरी सी
आखिर हुई उदास एक दिन
वियोग ऐसा, ये देखा नहीं जाता
हमीं हैं कारण, मन भर आता।
बहना तुम्हारा है हमारे कारण
पुण्य-सलीला हो इसी कारण।
तुम्हारे ही कारण,जीवन हमारा
हमारावियोग ही जीवन तुम्हारा।
मिले जो हम तो ,संयोग न होगा
लहर न होगी,नद-प्रवाह न होगा,
सूखी जो नदी, तो किनारे कहाँ
न हम , न तुम, न जीवन होगा।
किनारे बनाने में सदियां लगी है
नदियों को बहने में सदिया लगी है,
न मिले किनारे, न यूँ बसे शहर
ये दुनिया बसाने में सदिया लगी है ।
मिल गये जो किनारे,कहर बरपेगा
सूखेगी नदियाँ,प्यासा शहर तड़पेगा
तरस खाकर न किनारे मिलाओ
यूँ शहर बसाने से अब बाज आओ।
अपलक निहारते, मिलते नहीं।
पीड़ा उनकी , कहीं जाती नहीं
देखी जाती नही, कही जाती नहींं।
नाचते फिरी लहरें बावरी सी
आखिर हुई उदास एक दिन
वियोग ऐसा, ये देखा नहीं जाता
हमीं हैं कारण, मन भर आता।
बहना तुम्हारा है हमारे कारण
पुण्य-सलीला हो इसी कारण।
तुम्हारे ही कारण,जीवन हमारा
हमारावियोग ही जीवन तुम्हारा।
मिले जो हम तो ,संयोग न होगा
लहर न होगी,नद-प्रवाह न होगा,
सूखी जो नदी, तो किनारे कहाँ
न हम , न तुम, न जीवन होगा।
किनारे बनाने में सदियां लगी है
नदियों को बहने में सदिया लगी है,
न मिले किनारे, न यूँ बसे शहर
ये दुनिया बसाने में सदिया लगी है ।
मिल गये जो किनारे,कहर बरपेगा
सूखेगी नदियाँ,प्यासा शहर तड़पेगा
तरस खाकर न किनारे मिलाओ
यूँ शहर बसाने से अब बाज आओ।
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