Friday, 3 March 2017

जो भी आपके कभी सहपाठी ,सहकर्मी ,सहयोगी ,पारिवारिक सदस्य ,प्रतियोगी ,मित्रादि किसी काल क्रम में रह चुके है उनसे आपका दृश्य या अदृश्य ,ज्ञात अथवा अज्ञात लगाव ,दुराव , ईर्ष्या ,प्रेम सम्बन्ध बना ही रहता है जो आपको आपके अन्दर ही तरह तरह से छेड़ते ,उत्तेजित ,आंदोलित ,हाई या लो , अप या डाउन करता ही रहता है

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