Wednesday, 22 March 2017

सच तो यह है कि समय निरन्तर निःशब्द निर्विकार चला जा रहा है , कल के गर्भ से आया आज और अभी के रास्ते अनन्त कल -अनन्त भविष्य के लिये चल पड़ा ,- एकदम निश्चिन्त , अपनी गति ,अपनी मति से -

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